यूँ तो ग़म मेरे पास भी कम नहीं है
पर लिखने लायक़ कुछ भी नहीं है
शिकायत में नाम किस का लिखूँ
साफ़ सुथरे तो कर्म मेरे भी नहीं है
माना खुश रहने में कोई शर्म नहीं है
कभी रो लेना भी कोई जुर्म नहीं है
बस शायर हूँ तो दो शब्द लिखे है
ज़िंदगी वैसे इतनी गमगिन नहीं है
- उदासी by Dharmesh
Dharmesh Kakadia